Thursday, February 06, 2025

Importance of 108 & Havana हवन व 108 का महत्व

हवन व 108 का महत्व

सं
ख्या 108 का हवन और अन्य धार्मिक क्रियाओं में विशेष महत्व है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह संख्या ब्रह्मांड की समग्रता का प्रतिनिधित्व करती है। 12 राशियों और 9 ग्रहों का गुणा 108 होता है। साथ ही, हिंदू धर्म में माना जाता है कि जब किसी मंत्र का 108 बार जाप किया जाता है, तो वह मंत्र अपने पूर्ण शक्ति और आशीर्वाद को खोलता है। 

     भगवान सूर्यनारायण का कांति वृत्त के अन्वय  कूल 27 नक्षत्रोसे परिभ्रमण करता है, ज्योतिष अवकहड चक्रानुसार प्रति नक्षत्रो में 4 विभाग है इस को चरण कहते हैं  ऐसे 108 जन्माक्षर के अंतर्गत सामान्य मानव जन्म का उत्क्रांती व जनन मरण का परिक्रमा होता रहेगा, जो कोई ऋषि, मुनि,संत महान व्यक्ती इस 108  परिक्रमा से बाहर रहेगा उस व्यक्ती को संबोधित करते हुए नामाभिदान के पूर्व 108 का उल्लेख करना प्रचलित रहा गया है |

हवन के लाभ: आध्यात्मिक और वैज्ञानिक

108 हवन मंत्रों के साथ हवन करना केवल धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि इसके आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ भी हैं। हवन के दौरान मंत्रों का जाप और आहुति (बलि =आहुती सामग्री) समर्पण से मन, शरीर और आत्मा का संतुलन स्थापित होता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का शोधन होता है और शांति और समृद्धि का आह्वान होता है। हवन यज्ञ का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, हवन से उत्पन्न धुआं प्राकृतिक शुद्धिकरण करता है, जो वायुमंडल से हानिकारक बैक्टीरिया और प्रदूषकों को समाप्त करता है और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।


कुछ मुख्य लाभ:

वातावरण की शुद्धि: हवन में प्रयुक्त सामग्री जैसे घी और औषधीय जड़ी-बूटियां जलने पर औषधीय गुण छोड़ती हैं।

मानसिक और भावनात्मक शांति: नियमित हवन तनाव को कम कर मन को शांत करता है।

आध्यात्मिक जागृति: मंत्रों के सामूहिक जाप से चेतना को ऊंचा करने और उच्च शक्तियों से आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद मिलती है।

संग्रहण और ध्यान की वृद्धि: मंत्रों का बार-बार उच्चारण सकारात्मक ऊर्जा के साथ मन को जोड़ता है और एकाग्रता बढ़ाता है।

हिंदू धर्म के यज्ञ हवन प्रमुख हैं: जैसे आयुर्वेद में त्रिदोष प्रमुख हैं, उसी प्रकार हिंदू धर्म के प्रथाओं में यज्ञ और हवन प्रमुख हैं।



1.ॐ सोमाय स्वाहा.   सोमाय य इदन्नमम

2.ॐ धनदाय स्वाहा 

3.ॐ ऋताय स्वाहा

4.ॐ यमाय स्वाहा

5.ॐ कालाय स्वाहा

6.ॐ विश्वकर्मणे स्वाहा

7.ॐ पवमानाय स्वाहा

स्वाहा उच्चारण के बाद  " य इदन्न मम " बोलना आवश्यक और अनिवार्य है क्यों की  - यह यज्ञ आहुती  जो अर्पण किया जा रहा है वह  मेरि ओर से नहीं बल्कि आपका ही है आपको दिया जा रहा है  यह समर्पण भाव से अर्पित करना जरूरी है |

Swaha Meaning: I offer to the purifier.

8.ॐ अश्विनौ स्वाहा Om Ashwinau Swaha Meaning: I offer to the Ashwini twins, divine physicians.

9.ॐ भौमाय स्वाहा Om Bhaumaya Swaha Meaning: I offer to Mars, the planet of energy.

10.ॐ बुधाय स्वाहा Om Budhaya Swaha Meaning: I offer to Mercury, the planet of intelligence.

11.ॐ शुक्राय स्वाहा Om Shukraya Swaha Meaning: I offer to Venus, the planet of beauty and love.

12.ॐ शनैश्चराय स्वाहा Om Shanaischaraya Swaha Meaning: I offer to Saturn, the planet of discipline.

13.ॐ राहवे स्वाहा Om Rahave Swaha Meaning: I offer to Rahu, the shadowy point in Vedic astrology that represents material desires, illusion, and obsession. It is also known as the north lunar node. 

14.ॐ केतवे स्वाहा Om Ketave Swaha Meaning: I offer to Ketu, the shadow planet.  It is also known as the south lunar node. 

15.ॐ सरस्वत्यै स्वाहा Om Saraswatyai Swaha Meaning: I offer to Saraswati, the goddess of knowledge.

16.ॐ लक्ष्म्यै स्वाहा Om Lakshmyai Swaha Meaning: I offer to Lakshmi, the goddess of wealth.

17.ॐ पार्वत्यै स्वाहा Om Parvatyai Swaha Meaning: I offer to Parvati, the goddess of power.

18.ॐ दुर्गायै स्वाहा Om Durgaayai Swaha Meaning: I offer to Durga, the goddess of protection.

19.ॐ कात्यायन्यै स्वाहा Om Katyayanyai Swaha Meaning: I offer to Katyayani, a form of Durga.

20.ॐ महालक्ष्म्यै स्वाहा Om Maha Lakshmyai Swaha Meaning: I offer to Mahalakshmi, the great goddess of fortune.

21.ॐ स्कन्दाय स्वाहा Om Skandaya Swaha Meaning: I offer to Skanda, the god of war.

22.ॐ हनुमते स्वाहा Om Hanumate Swaha Meaning: I offer to Hanuman, the monkey god.

23.ॐ विष्णुप्रिये स्वाहा Om Vishnupriye Swaha Meaning: I offer to Lakshmi, beloved of Vishnu.

24.ॐ कालरात्र्यै स्वाहा Om Kalaratryai Swaha Meaning: I offer to Kalaratri, the dark goddess.

25.ॐ महाकालाय स्वाहा Om Mahakalaya Swaha Meaning: I offer to Mahakala, the great time.

26.ॐ नारायणाय स्वाहा Om Narayanaya Swaha Meaning: I offer to Narayana, the supreme being.

27.ॐ कामदेवाय स्वाहा Om Kamadevaya Swaha Meaning: I offer to Kamadeva, the god of love.

28.ॐ ऋचाये स्वाहा Om Richaye Swaha Meaning: I offer to the divine hymns.

29.ॐ सत्याय स्वाहा Om Satyaya Swaha Meaning: I offer to the ultimate truth.

30.ॐ तत्त्वाय स्वाहा Om Tattvaya Swaha Meaning: I offer to the principle of existence.

31.ॐ गुरवे स्वाहा Om Gurave Swaha Meaning: I offer to the guru, the spiritual teacher.

32.ॐ चण्डिकायै स्वाहा Om Chandikayai Swaha Meaning: I offer to Chandi, the fierce goddess.

33.ॐ गंगायै स्वाहा Om Gangayai Swaha meaning: I offer to Gangashtakam, Yamuna, Saraswati Triveni , May creatures life be saved by the sanctity of Triveni Sangam

34.ॐ बलरामाय स्वाहा Om Balaramaya Swaha Meaning: I offer to Balarama, brother of Krishna.

35.ॐ नारसिंहाय स्वाहा Om Narasimhaya Swaha Meaning: I offer to Narasimha, the half-lion, half-man incarnation of Vishnu.

36.ॐ वामनाय स्वाहा Om Vamanaya Swaha Meaning: I offer to Vamana, the dwarf incarnation of Vishnu.

37.ॐ परशुरामाय स्वाहा Om Parashuramaya Swaha Meaning: I offer to Parashurama, the warrior sage.

38.ॐ गौतमाय स्वाहा Om Gautamaya Swaha Meaning: I offer to Gautama, the Buddha, the enlightened one.

39.ॐ गौरीशंकराय स्वाहा Om Gauri Shankaraya Swaha Meaning: I offer to Mother Earth.

40.ॐ गोमातायै स्वाहा Om Gomatayai Swaha Meaning: I offer to the sacred cow.

41.ॐ तुलसी मातायै स्वाहा Om Tulasi Matayai Swaha Meaning: I offer to the Tulsi plant, the sacred basil.

42.ॐ विघ्नविनाशाय स्वाहा Om Vighnavinashaya Swaha Meaning: I offer to the remover of obstacles.

43. ॐ समस्त ऋषिगणाय स्वाहा

44. ॐ समस्त पितृगणाय स्वाहा

45. ॐ समस्त पितृगणाय स्वाहा

46. ॐ समस्त पितृगणाय स्वाहा

47. ॐ सूर्याय स्वाहा

48. ॐ पांचजन्याय स्वाहा

49. ॐ सुदर्सशनाय स्वाहा

50. ॐ कुमुदाय स्वाहा

51. ॐ शार्ङ धराय स्वाहा

52. ॐ अष्ट दिक्पालकाय स्वाहा

53. ॐ कुल देव्यै स्वाहा

54.ॐ अस्मत् कुलदेवताय स्वाहा Om Sarvadevaya Swaha Meaning :  I offer to Inspire to be devoted to God.

प्रत्येक आहुती दो बारा अगर दिया जाय तो 108 हो जायेगा

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हवन विधि और सामग्री

हवन की पूर्णता सही विधि और सही सामग्री पर निर्भर करती है। हवन करने के लिए सामग्री शुद्ध होनी चाहिए, ताकि पूजा के दौरान अधिकतम आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सके। नीचे हवन के लिए आवश्यक सामग्री की पूरी सूची दी गई है:

1. गोबर के कंडे

हवन में गोबर के कंडे एक मुख्य ईंधन के रूप में उपयोग किए जाते हैं। यह शुद्ध और प्राकृतिक होता है, जो हवन में पवित्रता और वातावरण की शुद्धि के लिए उपयोगी होता है।

2. घी (शुद्ध देसी घी)

घी का हवन में प्रयोग महत्वपूर्ण होता है। यह आहुति के रूप में उपयोग किया जाता है और जब यह जलता है, तो वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है। गाय के घी को सबसे पवित्र माना जाता है।

3. जड़ी-बूटियां

हवन सामग्री में विभिन्न औषधीय जड़ी-बूटियों का प्रयोग होता है। इनसे उत्पन्न धुआं वातावरण को शुद्ध करता है और बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है। इनमें शामिल हैं:

हल्दी: वातावरण को शुद्ध करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।

गूगल: मानसिक शांति प्रदान करता है और ध्यान के लिए लाभकारी होता है।

लोबान: पवित्रता बढ़ाता है और वातावरण में सुगंध फैलाता है।

सरसों/व्रीही : हानिकारक कीटों और जीवाणुओं को दूर करने के लिए।

चंदन: आध्यात्मिकता को बढ़ाता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

4. चावल

चावल को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है और इसे आहुति के रूप में हवन में डाला जाता है।

5. जौ

जौ को विशेष रूप से हवन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

6. तिल

तिल का उपयोग हवन सामग्री के रूप में किया जाता है, जो शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए उपयोगी होता है।

7. कपूर

कपूर का प्रयोग वातावरण में शुद्धि और सुगंध फैलाने के लिए किया जाता है। यह हवन की अग्नि को तेज करता है और वातावरण को पवित्र बनाता है।

8. समिधा (लकड़ी)

हवन के लिए विशेष प्रकार की लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। इनमें आम की लकड़ी का उपयोग सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा, पीपल, पलाश, अघाडा, खदिर बिल्व और अमृतवल्लि की लकड़ियों का भी उपयोग होता है। ये लकड़ियाँ हवन के दौरान वातावरण में शुद्धिकरण करती हैं।

9. शक्कर और गुड़

हवन में शक्कर और गुड़ का उपयोग आहुति के रूप में किया जाता है। यह मिठास और समृद्धि का प्रतीक है।

10. कुश / दर्भ

दर्भ का उपयोग हवन में शुद्धि और ध्यान के लिए किया जाता है।   इसे हवन समिधाओं के साथ मिलाना चाहिए।

धन्यवाद 


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