श्री गुरुभ्यो नमः हरी: ॐ
नमस्ते वामदेवाय तत्पुरुषाय च अर्भकम्
अघोर:प्रणव रूपाय हिमवत् भ्रू सुनेत्रकम्
स्वयंभू शिति कंठाय मृगाधीश त्रिनेत्रकम्
नमो कालांतको शूल पाणि कंठे भुजंगकम्. || १ ||
जला धार सा धार संहार कर्ता
नमो जनक पुत्रीच परिपाल कर्ता
नमो विधिवरा सृष्टि जीवा सुकर्ता
नमः चारु प्रतिमा स्वयंभू त्रिकर्ता || २ ||
कल्पांतकारं तुषाराद्रिभीरम्
संसार पारं भूत कोटिशरीरम्
नमो मुंड मालं कंठे भुजंगम्
नमः चतुरभागे वक्रशृंगी सुलिंगं. || ३ ||
नमस्ते प्रतिमाहीन बागमति नदि स्थित:
सहस्र बाहु सती रक्ष महादेव मृग स्थित:
नंदिवाहि भस्मधारी डमरू आरव स्तिते
नमः चर्मांबराधार बिल्व श्वेतsभया स्थिते || ४ ||
नमस्ते दुःख नाशाय दुरित तिमिर हारक
विदारका जीवक्षाया महाकाल नमोस्तुते
तुष्टो ददासी शिवशंभो रुष्टो हरसि तत्क्षणात्
पशुपती नाथ कल्पांते इंदिरेश वर प्रभो || ५ ||
इति श्री तुळसात्मज विरचितं श्री पशुपतीनाथ स्तवं संपूर्णं
अघोर:प्रणव रूपाय हिमवत् भ्रू सुनेत्रकम्
स्वयंभू शिति कंठाय मृगाधीश त्रिनेत्रकम्
नमो कालांतको शूल पाणि कंठे भुजंगकम्. || १ ||
जला धार सा धार संहार कर्ता
नमो जनक पुत्रीच परिपाल कर्ता
नमो विधिवरा सृष्टि जीवा सुकर्ता
नमः चारु प्रतिमा स्वयंभू त्रिकर्ता || २ ||
कल्पांतकारं तुषाराद्रिभीरम्
संसार पारं भूत कोटिशरीरम्
नमो मुंड मालं कंठे भुजंगम्
नमः चतुरभागे वक्रशृंगी सुलिंगं. || ३ ||
नमस्ते प्रतिमाहीन बागमति नदि स्थित:
सहस्र बाहु सती रक्ष महादेव मृग स्थित:
नंदिवाहि भस्मधारी डमरू आरव स्तिते
नमः चर्मांबराधार बिल्व श्वेतsभया स्थिते || ४ ||
नमस्ते दुःख नाशाय दुरित तिमिर हारक
विदारका जीवक्षाया महाकाल नमोस्तुते
तुष्टो ददासी शिवशंभो रुष्टो हरसि तत्क्षणात्
पशुपती नाथ कल्पांते इंदिरेश वर प्रभो || ५ ||
इति श्री तुळसात्मज विरचितं श्री पशुपतीनाथ स्तवं संपूर्णं
श्री कृष्णार्पणमस्तु
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