Saturday, August 16, 2025

Kashtoddharana Stotram श्री दत्त घोरकष्टोद्धरण स्तोत्रं

 श्री दत्त घोरकष्टोद्धरण स्तोत्रं
काषाय वस्त्रम् करदंड धारिणम्। कमंडलु पद्म करेण शंखम्॥ चक्रम् गदा भूषित भूषणाढ्यम। श्रीपादराजं शरणम् प्रपद्ये॥

श्री गुरुभ्यो नमः हरी ॐ 
श्रीपाद श्रीवल्लभ त्वं सदैव।
श्रीदत्तास्मान्पाहि देवाधिदेव।।
भावग्राह्य क्लेशहारिन्सुकीर्ते।
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते।।१।। 
त्वं नो माता त्वं पिताप्तोऽधिपस्त्वं।
त्राता योगक्षेमकृत्सदगुरूस्त्वं।।
त्वं सर्वस्वं नोऽप्रभो विश्वमूर्ते।
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते।।२।। 
पापं तापं व्याधिमाधिं च दैन्यं।
भीतिं क्लेशं त्वं हराऽशुत्वदन्यं।।
त्रातारं नो वीक्ष्य ईशास्तजूर्ते।
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते।।३।। 
नान्यस्त्राता नापि दाता न भर्ता।
त्वत्तो देव त्वं शरण्योऽकहर्ता।।
कुर्वात्रेयानुग्रहं पूर्णराते।
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते।।४।। 
धर्मे प्रीतिं सन्मतिं देवभक्तिं।
सत्संगाप्तिं देहि भुक्तिं च मुक्तिं।।
भावासक्तिं चाखिलानंदमूर्ते।
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते।।५।। 
श्लोक
श्लोकपंचकमेतद्यो लोकमंगलवर्धनम्।
प्रपठेन्नियतो भक्त्या स श्रीदत्तप्रियो भवेत्।। 

इति श्री पाद वल्लभ कृत दत्त घोरकष्टोद्धरण स्तोत्रं संपूर्णं  श्री कृष्णार्पणमस्तु 





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