Friday, August 03, 2018

LITER The Aim of Blog GOVINDA (ब्लाग का उद्द्येश)

The Aim of Blog (ब्लाग का उद्द्येश)  
www.ashwathavruksha.blogspot.com
                   इस ब्लाग मे लिखित विषय ज्ञानवृद्ध, वयोवृद्ध लोगोंसे संग्रहित, उनके अनुभवोंको कल्पना से विषदिकरण कर, तथा उपलब्ध संदर्भोका उपयोग करके लिखी गयी हैं | कुछ लेख संग्रहित भी हो सकते है | वाचको से अनुरोध है की ब्लाग के विषयोंको प्रयोगमे लानेसे पहले अपने अपने घरके रुढि परंपरावोंका विचार जरुर करें |
                   इस ब्लाग का मूल उद्देश्य अपने  घराने के धरोहर की सुरक्षितता और बुजुर्गो की रचानावों की महत्ता अपने संबन्धियो को परिचित कराना है |
                    प्रपितामहश्री, पितामहश्री, पिताश्री; उनकी रचनायें; मन्त्र, अष्टक, सुप्रभात, ग्रन्थ, आरती संग्रह, कुलदेवता, कुलस्वामिनि संबन्धित, कुलधर्म, कुलाचार, वंशवृक्ष, नित्य नैमित्यिक विधि, आचरण तथा उनसे सुनी कथांओ को अपने गोत्रस्थ कट्टि /उम्ब्रजकर /उमार्जि परिवारोंको इस ब्लाग के जरिये परिचित करा रहां हुं | गोत्रस्थोको आपनेहि इतिहास अवगत करानेका यह केवल एक प्रयास है | अधिकतर लेखन मेरे वैयक्तिक अभिरुचि के अन्वय लिखित ही रहेगे , कुछ सर्वसामान्य समष्टि के विषय भी रह सकते है |         
                   ब्लाग के अन्तर्गत विषय पर अभ्यासक स्वतः अधिक संशोधन कर सकते हैं | विषय संबंधी संग्रह योग्य माहिती अगर हो , विषय भेद हो तो साधार संपर्क करनेकी कृपा करे. ब्लाग की रचनाओ के शब्द प्रयोगसे या विषय विशेष से किसिको असमाधान होता हो तो क्षमा करे, क्योकि वस्तुतः वह जानबूझकर न किया गया अपराध होगा |
धन्यवाद.
सुधीराचार्य श्रीधराचार्य कट्टि उमरजकर  
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YALAGUR-586213  Tq: MUDDEBIHAL  Distt : VIJAYAPURA  KARNAATAKA
भ्रमण ध्वनि : +91 8105998585 
Email ID : kattiss644@gmail.com    
BLOG :  www.ashwathavruksha.blogspot.com

The special information of Sri Govindaraja Deva, which is now beind told, is mythological, historical, in fact true events and it is seen that no one has written it in a comprehensive form.  Continued through Sruti and Smritis.  It continues.  It should continue to grow in the future.

Because, we see clearly in the shlokas that Shri Lakshmi Govindaraja is the god who gives salvation.  Also the village deity of many towns, clan deity of households.   Visit the special places mentioned in this short book and feel the authenticity and sanctity.   Some of the literature written by our ancestors is in digest form.  They can be found in prose, slokas, hymns, ashtottaras and in the form of aartis. 

I wanted to write down the current subject  with the hope that the future members of our family will know it.  This should be explored further.  Those who have taste can try.



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