ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे ....... ...........||
शिल्पोपरी श्री श्रीधर अश्वत्थ तरु सेजे
कलशज करत निराजन घंटध्वनि बाजे ||
पीत वसन परिधावे कौस्तुभ छबि राजे
तुम बिन अन्य न दूजा गोविंद पुर राजे. ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे ......|| 1 ||
शंखचक्र शर चापा चतुभुज देव परी
मन ई प्सित फल दीनो दीन दयालु वरी ||
दुर्बल भूत सुधारो इन पर कृपा s करो
नृप विक्रम को आदी जिनकी विपति हरो ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे .....|| 2 ||
सब मन कामन पायो श्रध्दा तुज दीनी
सो फल भागे गोविद फिरते स्तुति कविनी ||
गोवळ संग श्री राजा बनमे वास मनी
दक्षिण भीम रथी चर प्रवहित भू वहनी. ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे .......|| 3 ||
चढत प्रसाद सुमोदक भाष्पकली सेवा
दीप दशांग सु तुळसि सुरवर करी सेवा ||
श्री प्रळयांतक देवा जो कोई नर गावे
अंत में मोक्ष सुपथ को इंदिरे सुत पावे. ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे ...... || 4 ||
.......इंदिरेशसुत
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे ....... ...........||
शिल्पोपरी श्री श्रीधर अश्वत्थ तरु सेजे
कलशज करत निराजन घंटध्वनि बाजे ||
पीत वसन परिधावे कौस्तुभ छबि राजे
तुम बिन अन्य न दूजा गोविंद पुर राजे. ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे ......|| 1 ||
शंखचक्र शर चापा चतुभुज देव परी
मन ई प्सित फल दीनो दीन दयालु वरी ||
दुर्बल भूत सुधारो इन पर कृपा s करो
नृप विक्रम को आदी जिनकी विपति हरो ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे .....|| 2 ||
सब मन कामन पायो श्रध्दा तुज दीनी
सो फल भागे गोविद फिरते स्तुति कविनी ||
गोवळ संग श्री राजा बनमे वास मनी
दक्षिण भीम रथी चर प्रवहित भू वहनी. ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे .......|| 3 ||
चढत प्रसाद सुमोदक भाष्पकली सेवा
दीप दशांग सु तुळसि सुरवर करी सेवा ||
श्री प्रळयांतक देवा जो कोई नर गावे
अंत में मोक्ष सुपथ को इंदिरे सुत पावे. ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे ...... || 4 ||
.......इंदिरेशसुत
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