Friday, November 01, 2024

*Aarati Jaya Govind Hare आरती जय गोविंद हरे

                         आरती जय गोविंद हरे 

ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे  
ॐ जय गोविंद हरे ....... ...........||

शिल्पोपरी श्री श्रीधर अश्वत्थ तरु सेजे
कलशज करत निराजन घंटध्वनि बाजे ||
पीत वसन परिधावे  कौस्तुभ छबि राजे
तुम बिन अन्य न दूजा गोविंद पुर राजे.  ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे  
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे ......|| 1 ||

शंखचक्र शर चापा चतुभुज देव परी
मन ई प्सित फल दीनो दीन दयालु वरी ||
दुर्बल भूत सुधारो इन पर कृपा s करो
नृप विक्रम को आदी जिनकी विपति हरो ||
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे  
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे .....|| 2 ||

सब मन कामन पायो श्रध्दा तुज दीनी
सो फल भागे गोविद फिरते स्तुति कविनी ||
गोवळ संग श्री राजा बनमे वास मनी
दक्षिण भीम रथी चर प्रवहित भू वहनी.    || 
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे  
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे .......|| 3 ||

चढत प्रसाद सुमोदक भाष्पकली सेवा
दीप दशांग सु तुळसि सुरवर करी सेवा   ||
श्री प्रळयांतक देवा जो कोई नर गावे
अंत में मोक्ष सुपथ को इंदिरे सुत पावे.   || 
ॐ जय गोविंद हरे
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे
तुजपद कमलसे निकली भीम रथी प्यारे  
ॐ जय गोविंद हरे श्री गोविंद हरे ...... || 4 ||
                                          .......इंदिरेशसुत 

No comments:

Post a Comment