जिसे गोपी-कृत बाल रक्षा स्तोत्र भी कहा जाता है, बच्चों की सुरक्षा के लिए एक प्रार्थना है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों का आह्वान करता है ताकि वे बच्चे की रक्षा करें। यह स्तोत्र विशेष रूप से बच्चों को बुरी शक्तियों, बीमारियों और अन्य खतरों से बचाने के लिए पढ़ा जाता है।
श्री गुरुभ्यो नमः. हरी: ॐ
बाल रक्षा स्तोत्र
श्री गणेशाय नमः ।
अव्यादजोऽङ्घ्रि मणिमांस्तव जान्वथोरू
यज्ञोऽच्युतः कटि-तटं जठरं हयास्यः ।
हृत्-केशव-स्त्व-दुर ईश इनस्तु कण्ठं
विष्णुर-भुजं मुख-मुरु-क्रम ईश्वरः कम् ॥ १॥
चक्र्यग्रतः सहगदो हरि-रस्तु पश्चात्
त्वत-पार्श्व-योर्ध-नुरसी मधुहा-जनश्च ।
कोणेषु शङ्ख उरुगाय उपर-युपेन्द्रस्
तार्क्ष्यः क्षितौ हल-धरः पुरुषः समन्तात् ॥ २॥
इन्द्रि-याणि हृषी-केशः प्राणान-नारायणोऽवतु ।
मनो मे वासुदेवोऽव्यात् बुद्धिमव्याज्जनार्दनः ॥ ३॥
त्वक्-चर्म-मांस-रुधिरं त्वक्-चर्म-मांस-रुधिरं
त्वक्-चर्म-मांस-रुधिरं त्वक्-चर्म-मांस-रुधिरं त्वक्-चर्म-मांस-रुधिरं त्वक्-चर्म-मांस-रुधिरं ॥ ४॥
अर्थ:
हे भगवान, आपके चरणों की मणिमान (अंगूठे) रक्षा करें, आपके घुटनों की यज्ञ (जांघ) रक्षा करें, आपकी कमर की अच्युत (पेट) रक्षा करें, आपके पेट की हयग्रीव (पेट के ऊपर) रक्षा करें।
आपके हृदय की केशव (छाती) रक्षा करें, आपकी छाती की ईश (गर्दन) रक्षा करें, आपके गले की सूर्य (कंधा) रक्षा करें, आपकी भुजाओं की उरुक्रम (हाथ) रक्षा करें, और आपके सिर की ईश्वर (सिर) रक्षा करें।
आपके सामने चक्रधारी, आपके पीछे गदाधारी, आपके दोनों तरफ धनुष और तलवार वाले मधुसूदन (विष्णु) आपकी रक्षा करें।
आपके कोणों में शंखधारी, आपके ऊपर उपेन्द्र (विष्णु) और आपके नीचे तार्क्ष्य (गरुड़) आपकी रक्षा करें, और आपके चारों ओर हलधर (बलराम) और पुरुष (विष्णु) आपकी रक्षा करें।
आपकी इंद्रियों की हृषीकेश (विष्णु) रक्षा करें, आपके प्राणों की नारायण (विष्णु) रक्षा करें।
आपके मन की वासुदेव (विष्णु) रक्षा करें, और आपकी बुद्धि की जनार्दन (विष्णु) रक्षा करें।
आपकी त्वचा, मांस, और रक्त की (बार-बार दोहराया गया, शरीर के अंगों की रक्षा के लिए) रक्षा करें।
यह स्तोत्र बच्चों के लिए एक शक्तिशाली सुरक्षात्मक प्रार्थना है, जो उन्हें हर खतरे से बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। श्री कृष्णार्पणमस्तु
No comments:
Post a Comment