Monday, October 09, 2017

*Bhagavati Chandralaambaa Ashtottara ॥ श्री भगवति चंद्रलांबा अष्टोत्तर स्तोत्रं ॥


॥ श्री भगवति चंद्रलांबा अष्टोत्तर शत स्तोत्रं ॥

श्री गणेशाय नमः 
हरी: ॐ
चंद्रलांबा महालक्ष्मी शांभवि शंख धारिणि । 
आनंदि परमानंदा काल रात्रि कपालिनी || 1 ||

कामाक्षि वत्सला प्रेमा काश्मीरि कामरूपिणि  ।  कामोदकि कालहंत्रि च शंकरी भुवनेश्वरि   ॥ २ ॥

खड्ग हस्ता शूलधारा गायत्रि गरुडासना । चामुंडा मुंडमथन: चंडिका चक्रधारिणि   ॥ ३ ॥                                                

जयरुपा जगन्नाथा ज्योतिरूपा चतुर्भुजा ।
जननि जीवनि जीवा जीवना जयवर्धिनि ॥ ४ ॥

धर्मधात्रि धर्मरूपा धन धान्य विवर्धिनी  । 
नारायणि नारसिंहॆ च नागकन्या नागेश्वरि  ॥ ५  ॥

निर्विकल्पा निराधारि निर्गुणा गुणवर्धिनी  ।
पद्म हस्ता पद्म नेत्रि पद्मापद्म विभूषिणि  ॥ ६ ॥

भवानि परमैश्वर्या पुण्य दा पापहारिणि  । 
भ्रामरि भ्रमरांबा च भीमरूपा भयप्रदा ॥ ७ ॥

रामा रामेश्वरि  ब्राह्मि रुद्राणि रुद्ररूपिणि ।
राजलक्ष्मी राजभूषा राज्ञिराजा सुपूजित  ॥ ८ ॥

लक्ष्मी पद्मावति चांबा  ब्रह्माणि ब्रह्मधारिणि  । 
विशालाक्षि भद्रकाळि पार्वति  वरदायिनि ॥ ९ ॥

सुगुणा निश्चला नित्या नागभूषा त्रिलोचनि ।
हेमरूपा सुंदरीच सन्नति क्षेत्र वासिनि   ॥ १० ॥

ज्ञानधात्री  ज्ञानरूपा राजो दारिद्र्य नाशिनि ।
अष्टोत्तर शतं दिव्यं चंद्रला प्रितिदायकं ॥ ११ ॥

|| इति श्री मार्कंडेय पुराणॆ श्री वाणि रमा उमा सहित श्री भगवति चंद्रलांबा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रं संपुर्णं ॥
               || श्री कृष्णार्पणमस्तु ॥ 

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