Tuesday, October 10, 2017

DEEPAVALI AACHARANA दीपावळि आचरण

दीपावळि आचरण

 ई कॆळगॆ कॊट्टिरुव दीपावळि आचरणॆ सामान्यवादद्दु  आचरिसुववरु तम्म तम्म मनॆतनद रूढि परंपरॆगनुगुणवागि  आचरिसतक्कद्दु ) 

GOVATSA  DWAADASHI    

Govatsa dwadashi is dedicated to 

worshipping cows This day is most auspicious                                                              

गोवत्स द्वादशि / वसु बारस सवत्स गॊवन्नु गंधादिगळिंद पूजिसि पुष्प अक्षते तिलगळिंद अर्घ्य कोडबॆकु गॊवु मत्तु करुविगे तिन्नलु कोडुवुदु. ( नेनसिद गोधि ) 

मंत्र- क्षीरॊदार्णव संभूते..............सफ़लं कुरु नंदिनि ॥ ई  हॆसरिनल्लि ऒंदु  पौराणिक /जानपद कथॆयु प्रचलितदल्लिदॆ उद्देश : आकळुगळिंद मानवनिगॆसिगुव हालु मॊसरु बॆण्णॆ तुप्प ,इंधन इत्यादिगळ उपयोगदिंद पोषणॆ आगुव कारण कृतज्ञतॆ व्यक्त   माडुवदक्कॆ आचरिसलागुत्तदॆ ( ई दिनदिंदले आकळ गॊब्बर दिंद ऐवरु पांडवरु मध्यदल्लि मलगिद श्री कृष्ण माडि मॊसरिन नैवेद्य तोरिसुव वाडिकॆ  पाण्डव पञ्चमिय  वरॆगॆ इरुत्तदॆ ) 

DHANA TRAYODASHI  

धन त्रयोदशि ,जलपुर्ण त्रयोदशि, यम दीप दान, चंद्रन हदिमूरने क्षीणत्वद दिवसदंदु लक्ष्मी कुबेरर पूजॆ नडॆदु बंदिदॆ मणॆयमेलॆ कॆंपु वस्त्र हासि मध्यदल्लि लक्ष्मि उत्तरक्कॆ कुबेर दक्षिणक्कॆ यम पूर्वक्कॆ धन्वंतरि  मुंभागदल्लि गणपति देवरुगळ प्रतीकवागि  प्रतिमॆगळु इल्लदिद्दरॆ अडिकॆ ,तॆंगिनकायिगळन्निट्टु लक्ष्मिय कुबेरन यमन धन्वंतरिय  गणपतिय मंत्रगळन्नु हेळुत्त षोडशोपचार पूजॆयन्नु माडुवुदु  

( श्री लक्ष्मि: ओं महालक्ष्मीच ........तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ,श्री कुबेर : ओं यक्षाय कुबेराय ........वित्तेश्वराय नमः  श्री यम : मृत्युं पाशदंडं अभयं.....सूर्याय प्री यंतां  श्री धन्वंतरि :ओं नमो भगवते महासुदर्शनाय अमृत कलशाय .........धन्वन् तर्याय नमः श्री गणपति :एकदंताय ........तन्नॊदंतिह्  प्रचोदयात् )  मनॆय नीरु कासुव पात्रॆयल्लि नीरु हाकि अरिशिण  कुंकुम तुळसि पत्र हाकि  ऒलॆय मेलिट्टु गंध धूप दीप इत्यादिगळिंद पूजॆ माडुवुदु       उद्देश: शरीर स्वास्थ्यवु चन्नागिरलु, आयुष्य वृद्धिगागि, धन प्राप्तिगागि आचरिसलागुत्तिदॆ 

Yama Dipadana pujaa eradicates all illness, effects of Black magic, evil spells, curses, ghosts, spirits and protects from ultimate Yama dharma raja      

NARAKA CHATURDASHI 

नारी कृत निरांजन प्रात्ः 5 रिंद 6,  अभ्यंग स्नान, यम तर्पण  ई दिनद प्रचलित कथॆ : नरकासुरन वधॆगागि श्रीकृष्णनु होदाग जॊतॆयल्लि सत्यभामॆयु इद्दळु युद्ध माडुत्त माडुत्त श्री कृष्णनिगॆ दणिवादाग मूलदल्लि योद्धॆयागिद्द सत्यभामॆ युद्धक्कॆ सन्नद्धळागि निंतद्दु कंडु नरकासुरनु गाबरियाद कारण अवन वधॆयु स्त्रियरिंदले आगुवुदॆंदु वरदानवित्तु ......नरक ऎंदरॆ हॊलसु कस अस्वच्चतॆ अदन्नु तॊडॆदु हाकुववरु महिळॆयरु ऎंदु ग्राह्य  बाह्य मत्तु आंतरिक कल्मशवन्नु हॊडॆदु हाकुव महिळा प्रधान पौराणिक कथॆ अभ्यंग स्नानवु इदन्ने हेळुत्तदॆ 

This day is celebrated to become free from all the sins mistakes to eliminate the  idleness, evil  from our life

.यम तर्पण : तंदे इल्लदवरु-दक्षिणक्के मुखमाडि निर्माल्य तीर्थदिंद तिलसहित अपसव्यदल्लि तर्पण, तंदे इद्दवरु- पूर्वक्के मुखमाडि सामान्य जलदिंद सव्यदिंदले अक्षते सहित सरळगैयिंद तर्पण कोडबॆकु मन्त्र: यमं तर्पयामि/ धर्मंम्/ मृत्युम् / अंतकम्/ वैवस्वतम्/ कालम्/ सर्वभूतःक्षयं/ औदुंबरं/ दध्नं/ नीलम्/ परमॆष्टिनं/ वृकॊदरं/ चित्रं/ चित्रगुप्तम् तर्पयामि॥आमॆले सर्वरिगागि तर्पण मंत्र : यमो निहंता पितृ धर्म राजो । वैवस्वतो दंड धरस्य कालः ॥ प्रे ताधिपो दत्त कृतानुसारि । कृतांत एतत् दशकृज्जपंति ॥ई मंत्रवन्नु हेळुत्त  कैयल्लि अक्षतॆ हिडिदु सव्यदिंद सरळ हस्तदिंद हत्तु सल तर्पण बिडबेकु 

" यमो निहन्ता पितृ धर्मराजो  वैवस्वतो दण्ड धरश्च कालः | प्रेताधिपो दत्त कृतानुसारी  कृतान्त एतद्दशक्रुज्जपन्ति "  

DEEPAVALI AMAAVAASYAA  

नियोजित पूजा समय सायंकाल महालक्ष्मि सहित कुबेर पूजन महालक्ष्मी मत्तु कुबॆरन प्रतिमॆगळन्निट्टु षॊडशॊपचार पूजेमाडुवुदु धन धान्य ऐश्वर्याभिवृद्धिगागि मानसिक स्थिरतॆगागि शक्त्यानुसार वैभवदिंद पूजॆमाडुवुदु

BALI PRATIPADA  

अभ्यंग स्नान माडुवाग ऎरडु कणकद आरतिगळिंद आरति माडिसिकॊडु ऎडक्किरुव आरतियन्नु बलक्कू. बलक्किन आरतियन्नु ऎडक्कू इट्टु कुंकुम हच्चि स्नानवन्नु पूर्ति माडबेकु.  गोवर्धन पूजॆ माडबेकु गोवर्धन गिरि प्रतिकवॆंदु आकळ गॊब्बरिनिंद  पर्वत तयारिसि  ऐवरु पांडवरु पर्वत एरिदंतॆयु  मध्यदल्लि निंत  श्री कृष्ण माडि  अष्ठ दिक्पालकर पूजॆ सहित माडि सक्करॆ मॊसरिन नैवेद्य तोरिसुव वाडिकॆ इरुत्तदॆ 

देवतॆगळिगॆ अन्न हविश्यु अर्पिसुवुदक्किंत प्रजाजनक्कॆ सहाय माडुव जल अन्न धान्य नीडुव निसर्ग निर्मित पर्वतवन्ने पूजिसुवुदु ऒळितु ऎंदु श्री कृष्णन अभिप्रायवित्तु   

YAMA DWITIYA  

भगिनि हस्तॆन आरति भोजन काणिकॆ  सहोदरियर सुर क्षिततॆगागि  उत्तरोत्तर अभिवृद्धिगागि  सहोदररिगॆ उपचार  इदॊंदु अलौकिक  बंधनद हब्ब 

BHAGINI  TRITIYA  

सहोदरियर सुरशिततॆगागि उत्तरोत्तर अभिवृद्धिगागि सहोदररु नीडुव भोजन काणिकॆ  उपचार,  इदॊंदु अलौकिक  बंधनद हब्ब    ...................................................................                  अश्विन कृष्ण च्तुर्दशियिंद (नरक चतुर्दशि) कार्तिक कृष्ण त्रयॊदशिय वरेगे महालय गौणकाल इरुत्तदे यावुदे अनानुकूलतेगळिंद श्राद्धादि पितृ कर्मगळु नियॊजित तिथियल्लि मादलागदे इद्दवरु  ई अवधियल्लि माडतक्कद्दु                     सर्वे जना सुखिनो भवंतु 



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