GOVINDA PANCHARATNAH ( गोविन्द पञ्चरत्नः )
ब्रम्हाण्ड पूर्ण ऊर्जित दश अङ्गुलाय |
ब्रह्मादि देवाच्युत सेव्यकाय ||
ब्रह्मर्षि कुम्भोद्भव वर्णिताय |
नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 1 ||
मूल स्वरूपे तव उग्र स्थिताय | मूलाधारैक विक्रम नन्दिताय || माणिक्य मुकुटांब रालन्कृत दीर्घकाय | नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 2 || सर्वोपाधि विनिर्मुक्त भवद्विभाय | सर्व देश काल परिच्छिन्न वेद्य वर्जिताय ||
सर्वोपनिषद द्रष्टाय सर्व्यापकाय | नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 3 ||
चतुर्भुज अभयकर शोभिताय | चैतन्य चल चक्र धनुर्धराय || चित्कलानन्द पद्म शेष स्थिताय | नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 4 ||
पाशान्कुशधर संस्तुत सेविताय |
परात्पर देवाSमर वन्दिताय ||
प्रज्ञान पूर्ण पंकज लोचनाय |
नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 5 ||
इमानि पञ्चरत्नानि त्रिसन्ध्यः यः पठेन्नरः |
सर्व पाप विनिर्मुक्तः सयाति परमाम् गतिम् ||
इतिश्री द्वैपायनाचार्य विरचित गोविन्द पञ्चरत्नं संपूर्णं
|| श्री लक्ष्मी गोविन्दराजार्पणमस्तु ||
ब्रम्हाण्ड पूर्ण ऊर्जित दश अङ्गुलाय |
ब्रह्मादि देवाच्युत सेव्यकाय ||
ब्रह्मर्षि कुम्भोद्भव वर्णिताय |
नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 1 ||
मूल स्वरूपे तव उग्र स्थिताय | मूलाधारैक विक्रम नन्दिताय || माणिक्य मुकुटांब रालन्कृत दीर्घकाय | नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 2 || सर्वोपाधि विनिर्मुक्त भवद्विभाय | सर्व देश काल परिच्छिन्न वेद्य वर्जिताय ||
सर्वोपनिषद द्रष्टाय सर्व्यापकाय | नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 3 ||
चतुर्भुज अभयकर शोभिताय | चैतन्य चल चक्र धनुर्धराय || चित्कलानन्द पद्म शेष स्थिताय | नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 4 ||
पाशान्कुशधर संस्तुत सेविताय |
परात्पर देवाSमर वन्दिताय ||
प्रज्ञान पूर्ण पंकज लोचनाय |
नमोस्तु गोविन्द विद गोविदाय || 5 ||
इमानि पञ्चरत्नानि त्रिसन्ध्यः यः पठेन्नरः |
सर्व पाप विनिर्मुक्तः सयाति परमाम् गतिम् ||
इतिश्री द्वैपायनाचार्य विरचित गोविन्द पञ्चरत्नं संपूर्णं
|| श्री लक्ष्मी गोविन्दराजार्पणमस्तु ||
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