Thursday, September 12, 2024

*MULA RAM SUPRABHAT श्रीमूलराम सुप्रभातम्

 
                श्री मन्मूलराम सुप्रभातम् 


श्री गुरूभ्यो नमः. हरी: ॐ 

पद्माकरांबुरुह‌ लालित पादपद्म
पद्मासनार्चित महा महिमा बुराशे 
श्रुत्यादि सिद्ध सुखतीर्थ मुनै प्रसन्नं
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. || १ ||

आनंदतीर्थ जयतीर्थ सदन्वयस्थै: 
शश्वत्सदैव निखिलै्र्मुनि सार्व भौमै:
हंसोत्तरादि मठपै्विनुतार्चितांघ्रे 
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. || २ ||

संलक्षणैर्विलासितांग वशिष्ठ गीत 
रामायणे निगदितैर्निखिलैर्मनोज्ञै:
नित्यावीयुक्त जनकात्मजया समेत
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||३ ||

भक्ती प्रपत्ती मुखहंस गुणैक तुष्ट 
भूमीविदार्य पुरत: स्थित दिव्य मूर्ते
विद्यानिधे: प्रवरतां उदघोष यस्त्वं 
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||४ ||

सीता समेत रघुनंदन भक्त वश्य
दुरान्निरस्त रघुनंदन भिक्षु यत्न
आद्योत्तराआदी मठत्यधिपैक पूज्य 
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||५ ||

अन्यान्महाकपटतो प्रह्रतौ प्रसक्तान
आरान्निरश्य विदधनितरां निराशान्
मूलोत्तरादी महितो रमठैक वासिन्
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||६ ||

विद्यानिधी प्रगुणधन्य यतिश्वराणाम्
अस्ताब्जजात गुरुराड्रघुनाथ तीर्थै: 
भोगा पवर्ग मपहाय कृतैक पूज्य
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||७ ||

भीमा नदी सरयूचंड जलप्रवाहम्
पादातियायि रघुवर्य यतिश्वराणाम्
शिष्य प्रवेक मुनिवर्य रघूत्तमेज्य:
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||८ ||

सत्यप्रिया नवरतं प्रिय सत्यवादीन्
तातं तं च सत्य वचनं व्यतनोर्वनं यात्
सत्यादी शब्द मुनिवर्य महाली पूज्य:
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||९ ||

आम्नायशास्त्र निवहेषु नदीष्णनाथै:
सध्यान तीर्थ मुनिवर्य महानुभावै:
मौनीश मौलि धृत पत्तल वद्भिरर्च
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||१० ||

संप्रत्यपी प्रतिदिनम् प्रतप प्रमोदै:
सत्य प्रमोद मुनीभिवर्दुषां वरेण्य: 
सन्नम्य मान चरणस् सुभृशं प्रसन्न
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||११ ||

त्वत्सन्निधान महिमातिशयात्प्रकृष्ट 
विद्यातपो विरतीशिष्य विभूती भव्य:
लोकोत्तरो जयती सन्मठ उत्तरादी:
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||१२ ||

श्रीमूलरामा मल सुप्रभातम 
श्रद्धा भरात् संपठतो जनौघान् 
पूर्णायुषो शेष दिनप्रवाहम्. 
तन्नोती भव्यास्पद सुप्रभातम्. ||

मूलराम स्तुतीरीयम् प्रभाते पठताम् सताम् 
निर्ध्वस्तानिष्ठनिचया समस्ता भिष्टदा भवेत्. ||
          || श्री दिग्विजय रामो विजयते ||



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