पद्माकरांबुरुह लालित पादपद्म
पद्मासनार्चित महा महिमा बुराशे
श्रुत्यादि सिद्ध सुखतीर्थ मुनै प्रसन्नं
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. || १ ||
आनंदतीर्थ जयतीर्थ सदन्वयस्थै:
शश्वत्सदैव निखिलै्र्मुनि सार्व भौमै:
हंसोत्तरादि मठपै्विनुतार्चितांघ्रे
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. || २ ||
संलक्षणैर्विलासितांग वशिष्ठ गीत
रामायणे निगदितैर्निखिलैर्मनोज्ञै:
नित्यावीयुक्त जनकात्मजया समेत
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||३ ||
भक्ती प्रपत्ती मुखहंस गुणैक तुष्ट
भूमीविदार्य पुरत: स्थित दिव्य मूर्ते
विद्यानिधे: प्रवरतां उदघोष यस्त्वं
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||४ ||
सीता समेत रघुनंदन भक्त वश्य
दुरान्निरस्त रघुनंदन भिक्षु यत्न
आद्योत्तराआदी मठत्यधिपैक पूज्य
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||५ ||
अन्यान्महाकपटतो प्रह्रतौ प्रसक्तान
आरान्निरश्य विदधनितरां निराशान्
मूलोत्तरादी महितो रमठैक वासिन्
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||६ ||
विद्यानिधी प्रगुणधन्य यतिश्वराणाम्
अस्ताब्जजात गुरुराड्रघुनाथ तीर्थै:
भोगा पवर्ग मपहाय कृतैक पूज्य
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||७ ||
भीमा नदी सरयूचंड जलप्रवाहम्
पादातियायि रघुवर्य यतिश्वराणाम्
शिष्य प्रवेक मुनिवर्य रघूत्तमेज्य:
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||८ ||
सत्यप्रिया नवरतं प्रिय सत्यवादीन्
तातं तं च सत्य वचनं व्यतनोर्वनं यात्
सत्यादी शब्द मुनिवर्य महाली पूज्य:
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||९ ||
आम्नायशास्त्र निवहेषु नदीष्णनाथै:
सध्यान तीर्थ मुनिवर्य महानुभावै:
मौनीश मौलि धृत पत्तल वद्भिरर्च
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||१० ||
संप्रत्यपी प्रतिदिनम् प्रतप प्रमोदै:
सत्य प्रमोद मुनीभिवर्दुषां वरेण्य:
सन्नम्य मान चरणस् सुभृशं प्रसन्न
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||११ ||
त्वत्सन्निधान महिमातिशयात्प्रकृष्ट
विद्यातपो विरतीशिष्य विभूती भव्य:
लोकोत्तरो जयती सन्मठ उत्तरादी:
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||१२ ||
श्रीमूलरामा मल सुप्रभातम
श्रद्धा भरात् संपठतो जनौघान्
पूर्णायुषो शेष दिनप्रवाहम्.
तन्नोती भव्यास्पद सुप्रभातम्. ||
मूलराम स्तुतीरीयम् प्रभाते पठताम् सताम्
निर्ध्वस्तानिष्ठनिचया समस्ता भिष्टदा भवेत्. ||
|| श्री दिग्विजय रामो विजयते ||
पद्मासनार्चित महा महिमा बुराशे
श्रुत्यादि सिद्ध सुखतीर्थ मुनै प्रसन्नं
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. || १ ||
आनंदतीर्थ जयतीर्थ सदन्वयस्थै:
शश्वत्सदैव निखिलै्र्मुनि सार्व भौमै:
हंसोत्तरादि मठपै्विनुतार्चितांघ्रे
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. || २ ||
संलक्षणैर्विलासितांग वशिष्ठ गीत
रामायणे निगदितैर्निखिलैर्मनोज्ञै:
नित्यावीयुक्त जनकात्मजया समेत
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||३ ||
भक्ती प्रपत्ती मुखहंस गुणैक तुष्ट
भूमीविदार्य पुरत: स्थित दिव्य मूर्ते
विद्यानिधे: प्रवरतां उदघोष यस्त्वं
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||४ ||
सीता समेत रघुनंदन भक्त वश्य
दुरान्निरस्त रघुनंदन भिक्षु यत्न
आद्योत्तराआदी मठत्यधिपैक पूज्य
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||५ ||
अन्यान्महाकपटतो प्रह्रतौ प्रसक्तान
आरान्निरश्य विदधनितरां निराशान्
मूलोत्तरादी महितो रमठैक वासिन्
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||६ ||
विद्यानिधी प्रगुणधन्य यतिश्वराणाम्
अस्ताब्जजात गुरुराड्रघुनाथ तीर्थै:
भोगा पवर्ग मपहाय कृतैक पूज्य
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||७ ||
भीमा नदी सरयूचंड जलप्रवाहम्
पादातियायि रघुवर्य यतिश्वराणाम्
शिष्य प्रवेक मुनिवर्य रघूत्तमेज्य:
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||८ ||
सत्यप्रिया नवरतं प्रिय सत्यवादीन्
तातं तं च सत्य वचनं व्यतनोर्वनं यात्
सत्यादी शब्द मुनिवर्य महाली पूज्य:
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||९ ||
आम्नायशास्त्र निवहेषु नदीष्णनाथै:
सध्यान तीर्थ मुनिवर्य महानुभावै:
मौनीश मौलि धृत पत्तल वद्भिरर्च
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||१० ||
संप्रत्यपी प्रतिदिनम् प्रतप प्रमोदै:
सत्य प्रमोद मुनीभिवर्दुषां वरेण्य:
सन्नम्य मान चरणस् सुभृशं प्रसन्न
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||११ ||
त्वत्सन्निधान महिमातिशयात्प्रकृष्ट
विद्यातपो विरतीशिष्य विभूती भव्य:
लोकोत्तरो जयती सन्मठ उत्तरादी:
श्रीमूलराम भगवंस्तव सुप्रभातम. ||१२ ||
श्रीमूलरामा मल सुप्रभातम
श्रद्धा भरात् संपठतो जनौघान्
पूर्णायुषो शेष दिनप्रवाहम्.
तन्नोती भव्यास्पद सुप्रभातम्. ||
मूलराम स्तुतीरीयम् प्रभाते पठताम् सताम्
निर्ध्वस्तानिष्ठनिचया समस्ता भिष्टदा भवेत्. ||
|| श्री दिग्विजय रामो विजयते ||
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