Wednesday, March 26, 2025

Pratyangira Stotram मा श्री प्रत्यांगिरा स्तोत्रं

                          अथ प्रत्यङ्गिरा स्तोत्रं


श्री गुरुभ्यो नमः हरी: ॐ 

माँ प्रत्यांगिराचे हे स्तोत्र खूप प्रभावी असून लवकर परिणाम देते. याचे रोज पठण केल्याने सर्व प्रकारचे दोष दूर होतात. नवग्रह दोष, भूत दोष याप्रमाणेच जर कोणी काही केले असेल तर तेही दूर होते, सर्व प्रकारचे अडथळे शांत होतात. या स्तोत्राचे विशेष आणि जलद परिणाम मिळविण्यासाठी 10 दिवस रात्री 100 वेळा पाठ करा. रोज ५ वेळा जप केल्याने सर्व मनोकामना पूर्ण होतात.

ॐ ह्रा ह्रीं प्रत्यङ्गिरायै नमः |

प्रत्यङ्गिरे अग्निं स्तम्भय | जलं स्तम्भय | सर्वजीव स्तम्भय | सर्वकृत्यां स्तम्भय | सर्वरोग स्तम्भय | सर्वजन स्तम्भय स्थंभय:|
ऐं ह्रीं क्लीं प्रत्यङ्गिरे सकल मनोरथान साधय साधय देवी तुभ्यं नमः | ॐ क्रीं ह्रीं महायोगिनी गौरी हुम् फट स्वाहा |
ॐ कृष्णवसन शतसहस्त्रकोटि वदन सिंहवाहिनी परमन्त्र परतन्त्र स्फोटनी सर्वदुष्टान् | भक्षय भक्षय सर्वदेवानां बंध बंध विद्वेषय विद्वेषय ज्वालाजिह्वे | महाबल पराक्रम प्रत्यङ्गिरे परविद्या छेदिनी परमन्त्र नाशिनी परयन्त्र भेदिनी ॐ छ्रों नमः | प्रत्यङ्गिरे देवि परिपंथी विनाशिनी नमः |

सर्वगते सौम्ये रौद्रयै परचक्राऽपहारिणि नमस्ते चण्डिके चण्डी महामहिषमर्दिनी नमस्काली महाकाली शुम्भदैत्य विनाशिनी  नमो ब्रह्मास्त्र देवेशि रक्ताजिन निवासिनी नमोऽमृते. महालक्ष्मी संसारार्णवतारिणी निशुम्भदैत्य संहारी कात्यायनी कालान्तके नमोऽस्तुते |

ॐ नमः कृष्णवक्त्र शोभिते सर्वजनवशंकरि सर्वजन
कोपोद्रवहारिणि दुष्टराजसंघातहारिणि अनेकसिंह
कोटिवाहन सहस्त्रवदने अष्टभुजयुते महाबल पराक्रमे
अत्यद्भुतपरे चितेदेवी सर्वार्थसारे परकर्म विध्वंसिनी
पर मन्त्र तन्त्र चूर्ण प्रयोगादि कृते मारण वशीकरणोच्चाटन स्तम्भिनी आकर्षणि अधिकर्षणि 
सर्वदेवग्रह सवित्रिग्रह भोगिनीग्रह दानवग्रह दैत्यग्रह ब्रह्मराक्षसग्रह सिद्धिग्रह सिद्धग्रह विद्याग्रह विद्याधरग्रह यक्षग्रह इन्द्रग्रह गन्धर्वग्रह नरग्रह किन्नरग्रह किम्पुरुषग्रह अष्टौरोगग्रह भूतग्रह प्रेतग्रह पिशाचग्रह भक्षग्रह आधिग्रह व्याधिग्रह अपस्मारग्रह सर्पग्रह चौरग्रह पाषाणग्रह चाण्डालग्रह 
निषूदिनी सर्वदेशशासिनि खड्गिनी ज्वालिनिजिह्वा करालवक्त्रे प्रत्यङ्गिरे मम समस्तारोग्यं कुरु कुरु 
श्रियं देहि पुत्रान् देहि आयुर्देहि आरोग्यं देहि
सर्वसिद्धिं देहि राजद्वारे मार्गे परिवारमाश्रिते मां पूज्य
रक्ष रक्ष जप ध्यान रोमार्चनं कुरु कुरु स्वाहा

इति श्री मा प्रत्यांगिरा स्तोत्रं संपूर्णं 

श्री कृष्णार्पणमस्तु 

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