अतिशय घोर संकटात खालील पाच श्लोक असलेल्या, श्रीवासुदेवानंद सरस्वती विरचित अघोरकष्टोद्धारण स्तोत्राचा पाठ करतात.
||अथ अघोरकष्टोद्धारण स्तोत्रम||
श्री गुरूभ्यो नमः. हरी: ॐ
श्रीपाद श्रीवल्लभ त्वं सदैव|
श्री दत्तास्मान पाहि देवाधीदेव||
भावग्राह्य क्लेशहारिन सुकीर्ते|
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||१
त्वं नो माता त्वं पिताप्तो दिपस्त्वं|
त्रातायोगक्षेमकृसद्गुरुस्त्वम||
त्वं सर्वस्वं नो प्रभो विश्वमूर्ते|
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||२
पापं तापं व्याधीमाधींच दैन्यम|
भीतिं क्लेशं त्वं हराशुत्व दैन्यम||
त्रातारंनो वीक्ष इशास्त जूर्ते|
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||३
नान्यस्त्राता नापि दाता न भर्ता|
त्वत्तो देवं त्वं शरण्योकहर्ता|
कुर्वात्रेयानुग्रहं पुर्णराते|
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||४
धर्मेप्रीतिं सन्मतिं देवभक्तिं|
सत्संगाप्तिं देहि भुक्तिं च मुक्तिं
भावासक्तिंचाखिलानन्दमूर्ते|
घोरात्कष्टादुद्धरास्मान्नमस्ते||५
श्लोकपंचकमेतद्यो लोकमंगलवर्धनम|
प्रपठेन्नियतो भक्त्या स श्रीदत्तप्रियोभवेत||
||इति श्रीमत्वासुदेवानंदसरस्वतिविरचितं अघोरकष्टोद्धारणस्तोत्रम सम्पूर्णम|| श्री कृष्णार्पणमस्तु
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