Tuesday, November 25, 2025

VAISHNAVA JANA TO. वैष्णव जन तो

                       वैष्णव जन तो



वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे

पर दुख्खे उपकार करे तोये मनअभिमान ना आणे रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे

सकळ लोक मान सहुने वंदे नींदा न करे केनी रे
वाच काछ मन निश्चळ राखे धन धन जननी तेनी रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे

सम दृष्टी ने तृष्णा त्यागी पर स्त्री जेने मात रे
जिह्वा थकी असत्य नाबोले परधन नव झाली हाथ रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे

मोहमाया व्यापे नही जेने द्रिढ़वैराग्य जेनामन मान रे
रामनाम सुन ताळीलागी सकळतिरथ तेनतन मान रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे

वण लोभी ने कपट- रहित छे काम क्रोध निवार्या रे
भणे नरसैय्यो तेनुन दर्शनकर्ता कुळएकोतेर तारया रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे

परदुख्खे उपकार करे तोये मनअभिमान ना आणे रे
वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ परायी जाणे रे
                                         .. श्री नरसिंह मेहता गुजरात 

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