Thursday, October 19, 2023

*MAHA NIRANJANA महानिरांजन

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महानिरांजन पूर्व  


श्रीयेजात: श्रीयाय निर्याय श्रीयं वयो जरित्रिभ्यो दधातु ।  श्रीयं वसाना अमृतत्व मायन् भवंति सत्या समिता मितद्रौ श्रीय येवै नं: तश्रीयामा दधाति: वषट् कृत्या  संतत्ये संधीयते प्रजया पशुभिर्य ये वं वेदा || याज्यया यजति प्रत्तिरवै याज्या पुणैव लक्ष्मीं पुण्या मेवतं लक्ष्मीं संभावयति पुण्यां लक्ष्मीं संस्कुरुते || संसृष्टं धनमुभयं समाकृत मस्मभ्यं धत्तां वरूणस्य मन्यु:  भियं दधाना हृदयेषु शत्रव: पराजिता सो अपनिलयंतां || :

Sendura laala chadhaavo   सेन्दुर लाल चढावो 

Vande punya praantam      वन्दे पुण्य प्रान्तं 

Pitaambaravanu vuttu        पितांबरवनु वुट्टु   DhRuta rupa Ashwatha

Bhagyada laxmi baaramm  भाग्यद लक्ष्मि बारम्मा 

Bandalu bhagyada baagila बन्दळु  भाग्यद 

Aaduta baaramma              आडुत बारम्मा 

Durge durghata bhaari       दुर्गे दुर्घट भारी 

Jaya ambe kuladevi             जय अम्बे कुल देवी 

Aarati tuja ambe                 आरती तुज अम्बे 

Satraani vuddhaani            सत्राणि उढ्ढाणि       

Murdha shikhandaka         मूर्ध शिखण्डक मुकुटं 

Govinda pura aashraya      गोविन्दपुर आश्रय

Mangalam jagadhisha        मङ्गलं जगधिश्वर 

Ninadellavu ninagarpane   निनदेल्लवु निनगर्पणे 


महानिरांजन नंतर   

घालीन लोटाङ्गण वन्दिन चरण | डोळ्यान पाहीन रूप तुझे | प्रेमे आलिङ्गिनि आनन्दे पूजिन | भावे ओवाळिन म्हणे नामा || त्वमेव माता पिता त्वमेव | त्वमेव बन्धुः सखा त्वमेव | त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव | त्वमेव सर्वं मम देवदेव | कायेन वाचा मनसेन्द्रियेर्वा | बुध्यात्मना वा प्रकृति स्वभावत | करोमि यज्ञत सकलं परस्मै | नारायणायेति समर्पयामि || अच्युतं केशवं राम नारायणं | कृष्ण दामोदरं वासुदेवं भजे | श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं | जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे | हरि नारायण दुरित निवारण परमानन्द सदाशिव शंकर भक्त जन प्रिय पङ्कज लोचन नारायण तव दासोऽहं ||

अस्तुश्रिः मङ्गलानि भवन्तु 

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमा न्यासन्। ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा:।। ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने । नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे। समेकामान् काम कामाय मह्यं । कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु |कुबेराज वैश्रवणाया । महाराजाय नम: ।  ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं। समन्त पर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषःआन्तादापरार्धात्। पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकरा‌ळ इति ।।  ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो। मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे । आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ।।  

यो वे तां ब्रह्मणो वेदा अमृतेनाव्रुतां पुरं | तस्मै ब्रह्म च ब्रह्माश्च आयुः कीर्तिं प्रजां ददुः ||

ॐ  एकदंताय विद्महे वक्रतुंडाय धिमही तन्नोदंती प्रचोदयात् |

ॐ  नारायणाय विद्महे वासुदेवाय   धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् |

ॐ  महालक्षी च विद्महे विष्णुपत्नि च धीमहि तन्नो लक्षी प्रचोदयात् | 

ॐ तत्वुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् |

ॐ  गिरिजायैच विद्महे शिवप्रीयायैच  धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् | 

ॐ  चतुर्मुखाय विद्महे हंसरूढायधीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् |

ॐ  सरस्वत्तै च विद्महे ब्रह्मपत्नि च धीमहि तन्नो वाणि प्रचोदयात् |

ॐ  हंस हंसाय द्महे परम हंसाय धीमहि तन्नो श्री गुरु मध्वः प्रचोदयात् |

यानि कानी च पानी जन्मांतर कृतानिच |तानि तानि प्रणश्यंति प्रदक्षिणं पदे पदे | अन्यथा शरणंनास्ति त्वमेव शरणं मम  |तस्मात कारुण्य भावेन  रक्ष रक्षा परमेश्वर | ॐ उरसा शिरसा दृष्ट्या वचसा मनसा | पादाभ्यां कराभ्यां जानुभ्या प्रणाम अष्टाङ्ग उच्यते |छत्रं चामरं गीतम् नृत्यं सर्व राजोपचारार्थे अक्षतां समर्पयामि || 

कर चरण कृतवांक् कायजं कर्मजं वां | श्रवण नयनजं वा मानसं वापराधं | समचरण सरोजं सान्द्र नीलां बुधामं | जघन निहित पाणिं मण्डनं मण्डनानां | तरुण तुलसिमालां कन्धरं कन्जनेत्रं | सद्य धवल हासं विठ्ठलं चिन्तयामि ||   ( ( मङ्गळारति ) )  

मङ्गलं भगवान विष्णु मङ्गलं मधुसूदन | मङ्गलं पुंडरीकाक्श मङ्गलायतनं हरिः | अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायक देवदेवोत्तम | कपट नाटक सुत्राधार लक्ष्मीरमण गोविन्दा गोविन्दा ||            ಇಂದಿವರಾಕ್ಷ  INDIVARA Mangalarati 

ಜಲಧಿ  ಆಲಂಗಿಸಿ  JALADHI ALANGISI  Mangalarati  

 अश्वत्थ निंबकाविर्भव श्री राम कृष्ण वेद व्यासात्मक | हनुमद्भिम मध्वाम्तर्गत भारती रमण मुख्य प्राणांतर्गत श्री लक्ष्मी गोविन्दराजः प्रीयन्ताम् प्रितोभवतु  श्री कृष्णार्पणमस्तु   यान्तु देवगणा सर्वे पूजां आदाय मामकीम् | इष्ताकाम समृध्यर्थं पुनरागमनायच ||  

           || श्री कृष्णार्पणमस्तु ||

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